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जरा सोचिए ... लेख

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जरा सोचिए...  जरूरी नहीं की हर रिश्ते में प्रेम हो। क्योंकि प्रेम ऐसी चीज है किसे से हो सकता है या सब कुछ होते हुए भी नहीं हो सकता, लेकिन रिश्तों के बीच सबसे प्रमुख चीज एक दूसरे को सुनना और समझना होता है। आदमी की जिंदगी सामाजिक तौर पर बहुत मजबूत मानी जाती है। पर जिनके बीच होती है उनके बीच भले गहरा प्रेम न हो लेकिन अगर एक दूसरे को समझने की शक्ति नहीं है तो वह ठीक बात नहीं। हमारे भारतीय समाज में परिवार की बड़ी भूमिका होती है। स्त्री, पुरुष के परिवार में जाती है और आज के समय में बहुत कम परिवार है जो आज भी लड़कियों को लड़कों जितनी शिक्षा नहीं दे रहा। सब चाहते हैं की लड़की हो चाहे लड़का अपने पैरों पर खड़ा हो सके और निर्णय लेने और उस निर्णय लेने के पीछे की रीड स्वयं विकसित करे । सवाल यहां उठता है की अगर अपने घर की लड़की है तो उसे संस्कारित और अच्छा परिवार में शादी करना चाहते हैं और अगर लड़की को ब्याह कर लाते हैं तो अक्सर उसे अपने पैर पर खड़ा होने, चाहे उसके ढंग से परिवार चलाने देने से रोकते हैं। अपने ऊपर लेके सोचें की अगर अपने घर की लड़की को विदा करते हैं तो यह स्वीकार कर सकत...