Posts

Showing posts from January, 2022

भाषा महज भाषा नहीं : अचिन्त्य मिश्र

Image
  भाषा महज भाषा नहीं इ सपर विचार क्या करना कि माँ से प्रेम कौन नहीं करता !   शास्त्रो में तो यहाँ तक कहा गया है कि किसी वस्तु/व्यक्ति के साथ सात पग चल लेने मात्र से प्रेम अनुराग पैदा हो जाता है । यह अनुराग साथ चलते हुए एक संवाद के बीच घटता है जिसमें भाषा का साम्राज्य सबसे व्यापक है | इसी के माध्यम से प्रेम में परिचित हुआ जाता है, इसी के माध्यम से होती है बातें, होता है राग, होता है वैराग्य ।   माता के गर्भ से ही बच्चे भाषा सीखना प्रारंभ कर देते हैं   जो मां ग्रहण करे वही वे लेते हैं | बहुत सूक्ष्म दृष्टि से खान-पान के अतिरिक्त वे गर्भ से ही विचारों का भी रस पी रहे होते हैं ! जो कुछ भी उसकी मां के माध्यम से आता है, बिना उसके गुण- दोषों की परवाह किए बिना निरपेक्ष अवस्था में वे उसका संचय कर रहे होते हैं | भाषा की गंभीरता के विषय में कुछ विचार करना   एक अलौकिक बीज को बोने जैसा है, जिसका परिणाम मस्तिष्क में ढेर सारे विचारों के मानिंद फल-फूल कांटे सा लद जाता है । मनुष्य अपने आपको   बहुत अच्छे से जनता है या अगर नहीं जानता है तो ऐसा कहने में कोई गुरेज नहीं ...